पंजाब पंथ, न्यूज, गुरदासपुर।(दीपक कालिया)1008 बाबा भगवान दास सती माता मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन के चौथे दिन श्रीमद् भागवत कथा में दिन श्री कृष्ण- राम जन्म कथा व भगत प्रहलाद के चरित्र का वर्णन किया गया। उन्होंने पौराणिक दंतकथाओं में भक्त प्रहलाद की धरती बनमनखी में बुधवार को भक्त प्रहलाद के चरित्र का का वर्णन किया । उन्होंने कहा कि लोगों को अपने जीवन में गुरु दीक्षा अवश्य लेना चाहिए।
चित्रकूट से आए पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे द्वारा वर्णन की गई किया।इस सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे द्वारा उन्होंने पौराणिक दंतकथाओं में भक्त प्रहलाद के चरित्र का का वर्णन किया । उन्होंने कहा कि लोगों को अपने जीवन में गुरु दीक्षा अवश्य लेना चाहिए। क्योंकि गुरु के बिना भगवान नहीं मिल पाता है। सनातन संस्कृति को बचाने सत्संग जरूरी है ।
उन्होंने कहा कि भगवान वामन अवतार में राजा बलि ने भगवान बावन को तीन पग भूमि दान किया था ।जिसमें दो पग पूरी ब्रह्मांड नाप ली गई एवं तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना शीश झुका कर भगवान के आगे झुक गया ।जहां बावन प्रसन्न होकर राजा बलि को सतलोक का राजा बनाया गया था एवं द्वारपाल के रूप में श्री हरि सदैव पहरा देने का वचन दिया।वहीं उन्होंने कहा कि सत्संग मनुष्यों की बुद्धि व उसकी अज्ञानता को दूर करती है।वाणी में सत्य का प्रसार करती है।मान-सम्मान में वृद्धि करती है।पाप को दूर करती है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया :
इसी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इसमें श्रद्धालु जमकर थिरके। इस मौके पर पूरा कथा परिसर भगवान श्री कृष्ण के जयकारों तथा नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की जय से गूंजायमान हो उठा। कथा के दौरान पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला।
जब-जब अत्याचार है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है :
उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उद्घोष के साथ नृत्य करने लगे।
अंत में भगवान की आरती कर कथा को विश्राम दिया गया। इस मौके पर 108 महामंडलेश्वर पति पावन दास जी गुजरात से खास तौर पर पंहुचे।वंही लाला द्वारा जालंधर से केशव दास जी पहुंचे, होशियारपुर से महाराज पवन दास जी पहुंचे और सती माता मंदिर के मुख्य महंत बाबा राम दास त्यागी, आचार्य इंद्र दास, महात्मा दामोदर दास दी भरतपुर, श्री राधे बाबा मथुरा से, 108 श्री महंत इश्र दास गोवर्धन से, महात्मा राम आसरे दास चित्रकूट से मौजूद रहे।