पंजाब पंथ न्यूज, गुरदासपुर (दीपक कालिया )1008 बाबा भगवान दास सती माता मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन के तीसरे दिन की कथा में चित्रकूट से आए पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री द्वारा राजा परीक्षित की कथा का वर्णन किया।इस सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री द्वारा ने परीक्षित जन्म, सुखदेव आगमन की कथा सुनाई। जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे।
पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री ने कहा कि युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। ब्रह्मास्त्र लगने से अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ।
परीक्षित जब बड़े हुए नाती पोतों से भरा पूरा परिवार था। सुख वैभव से समृद्ध राज्य था। वह जब 60 वर्ष के थे। एक दिन वह क्रमिक मुनि से मिलने उनके आश्रम गए। उन्होंने आवाज लगाई, लेकिन तप में लीन होने के कारण मुनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। राजा परीक्षित स्वयं का अपमान मानकर निकट मृत पड़े सर्प को क्रमिक मुनि के गले में डाल कर चले गए।
अपने पिता के गले में मृत सर्प को देख मुनि के पुत्र ने श्राप दे दिया कि जिस किसी ने भी मेरे पिता के गले में मृत सर्प डाला है। उसकी मृत्यु सात दिनों के अंदर सांप के डसने से हो जाएगी। ऐसा ज्ञात होने पर राजा परीक्षित ने विद्वानों को अपने दरबार में बुलाया और उनसे राय मांगी। उस समय विद्वानों ने उन्हें सुखदेव का नाम सुझाया और इस प्रकार सुखदेव का आगमन हुआ।
पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री के अनुसार इस पर मुनि शुकदेव ने राजा परीक्षित की मुक्ति के लिए सात दिन भागवत कथा सुनाई। जिसे सुन राजा परीक्षित भगवान की भक्ति में लीन हो गए। सात दिन पूरे होते ही श्रृंगी ऋषि के श्राप के अनुसार तक्षक नाग ने चुपके से आकर परीक्षित को काट लिया। पर भगवान की भक्ति में लीन राजा परीक्षित को इसका पता तक नहीं चला। भागवत कथा के प्रभाव से उन्हें मुक्ति प्राप्त हो गई।
अंत में भगवान की आरती कर कथा को विश्राम दिया गया। इस मौके पर सती माता मंदिर के मुख्य महंत बाबा राम दास त्यागी, आचार्य इंद्र दास, महात्मा दामोदर दास दी भरतपुर, श्री राधे बाबा मथुरा से, 108 श्री महंत इश्र दास गोवर्धन से, महात्मा राम आसरे दास चित्रकूट से मौजूद रहे।