पंजाब पंथ न्यूज, गुरदासपुर।(दीपक कालिया)1008 बाबा भगवान दास सती माता मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन के छठे दिन श्री मद्भागवत कथा में पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे दवारा प्रारंभ करते हुए सर्वप्रथम श्रीमद् भागवत कथा की गणेश वंदना विधि विधान से शुभारंभ कराया। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य महारास लीला का वर्णन किया। कथा वाचक कहा कि भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि स्वयं भोलेनाथ उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुंच गए। मथुरा गमन प्रसंग में अक्रूर जी भगवान को लेने आए। जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा जाने लगे समस्त ब्रज की गोपियां भगवान कृष्ण के रथ के आगे खड़ी हो गई। गोपी उद्धव संवाद, श्री कृष्ण एवं रुक्मणी विवाह उत्सव पर मनोहर झांकी प्रस्तुत की गई।
इस सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे दवारा महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। पंडित हिमांशु कृष्ण महाराज ने भगवान शंकर का रासलीला में शामिल होने का विस्तार से वर्णन किया।
भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई।
पंडित आचार्य उमा शंकर शास्त्री दूबे ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे।
अंत में भगवान की आरती कर कथा को विश्राम दिया गया। इस मौके पर 108 महामंडलेश्वर पति पावन दास जी गुजरात से,श्री श्री 1008 बाबा महामंडलेश्वर रमेश दास जी दतारपुर पंजाब, सती माता मंदिर के मुख्य महंत बाबा राम दास त्यागी, आचार्य इंद्र दास, महात्मा दामोदर दास दी भरतपुर, श्री राधे बाबा मथुरा से, 108 श्री महंत इश्र दास गोवर्धन से, महात्मा राम आसरे दास चित्रकूट से मौजूद रहे।